Primary School Teachers: Class 1-5 के 22,000 Teachers के लिए Bridge Course अनिवार्य
Primary School Teachers Alert: प्राथमिक विद्यालय में जो शिक्षक पहली से पांचवीं कक्षा में पढ़ाने के लिए नियुक्त हुए थे, उनके लिए बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। आपको बता दे की बिहार के लगभग 22 हजार शिक्षकों को ब्रिज कोर्स करना होगा। नौकरी बचाने के लिए जल्द राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान कोर्स की शुरुआत करेगा।

यह 22,000 शिक्षक वह शिक्षक है जो 2018 के बाद और 2023 से पहले प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त हुए थे। प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1-5) में डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन यानी डीएलएड करने वाले शिक्षकों की नियुक्ति मान्य है। लेकिन इनमें बीएडधारी यानी 6-8 में पढ़ाने वाले शिक्षकों की नियुक्ति हो गई थी। इस कोर्स के लिए जल्द ही अलग से पोर्टल भी तैयार किया जा रहा है।
NIOS जल्द ही पोर्टल लॉन्च करके कोर्स की विस्तृत जानकारी और तारीखें जारी करेगा। शिक्षकों को सलाह दी जाती है कि वे
- NIOS और शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अपडेट चेक करते रहें।
- आवश्यक दस्तावेज़ और योग्यता प्रमाणपत्र तैयार रखें।
- समयसीमा के अंदर कोर्स पूरा करें ताकि नौकरी सुरक्षित रहे।
NiOS जल्द ही इस कोर्स लिए कमेंसमेंट करने वाला है। कोर्स की प्रकिया ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग मोड (ODL) में कराई जाएगी। माध्यमिक स्तर पर पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्राथमिक स्तर में भी अच्छे से पढ़ा सके उनको इस कोर्स के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाएगा यही कोर्स का असल उद्देश्य है।
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Bridge Course की संभावित सामग्री
हालांकि आधिकारिक सिलेबस जारी नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि इसमें निम्नलिखित विषय शामिल होंगे:
- बाल मनोविज्ञान और विकास
- प्राथमिक स्तर पर शिक्षण विधियां
- पाठ योजना निर्माण (Lesson Planning)
- सीखने में आने वाली कठिनाइयों के समाधान
- बाल-अनुकूल मूल्यांकन पद्धति
- शिक्षा में नवाचार और तकनीकी उपयोग
NIOS द्वारा इस कोर्स की हर गतिविधियों की तैयारी की जा रही है ऐसे में सभी क्षेत्रीय कार्यालय में पोर्टल के निर्माण को लेकर पत्र जारी किया है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद का कहना है की इस कोर्स की शुरुआत होते ही 1 साल ने कंप्लीट कर लेना है। नौकरी बचाने के लिए यह कोर्स का करना बेहद जरूरी अगर कोई शिक्षक इस कोर्स को करने से वंचित रह गया तो उसे शिक्षक की नौकरी छोड़नी पद सकती हैं।
Bridge Couse को लेकर शिक्षकों की प्रतिक्रिया
आपको बता दे की इस पहल की खबर आते ही शिक्षकों में इस नए नियम को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
कुछ शिक्षक इसे शिक्षण कौशल बढ़ाने का अवसर मान रहे हैं। वहीं, कुछ का कहना है कि यह उनके ऊपर अतिरिक्त बोझ है और इसे नियुक्ति से पहले लागू किया जाना चाहिए था।

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